एक मां की सिंदूर
फिर मै दुसरे कमरे में जा कर पूरा दिन अंदर से दरवाजा बंद कर ली। शाम में पापा आए और मुझे न दिखने पर मां से मेरे बारे मे पूछे, मां ने डरते हुई सारी बातें बताई , ये सब बात सुनते ही उनका गुस्सा का ठिकाना नहीं था। वो मां से ही उलझ गए और मुझे दरवाजा खोलने का जिद्द करने लगे लेकिन मै डर से रोती रही लेकिन दो दिन तक नही खोली। सभी लोग मेरी ऐसी हरकत से डर कर मुझे दरवाजा खोलने का अनुरोध करने लगे। घर वालो ने हमारी बात मान लिए और ईशान से हमारी शादी बड़ी धूम धाम से कर दिया गया।
हम दोनो एक साथ बहुत हँसी और खुशी से रहने लगे , वो हमारी घर के काम मे भी बहुत मदद किया करते थे और मुझे पढ़ाई करने पर जोर दिया करते थे क्योंकि उनका सपना था कि मै शिक्षिका बनपाऊ।
उन्हे अच्छी पकवान खाने के साथ बनाने मे बहुत रूचि थी। वो जब भी छुट्टी आया करते थे तो मुझे तरह - तरह के पकवान बनाकर खिलाते थे और बाहर घुमाने ले जाया करते थे। एक दिन वैसे ही हम लोग घूमकर घर वापस लौट रहे थे तभी अचानक एक तेज ट्रक आकार सामने से टकरा गई जिसमे मै बुरी तरह घायल हो गई और ईशान की जान चली गई । जब मुझे होस आया तो खुद से एक को खोने की खबर सुनी तो एक को बहुत जल्द पाने की खबर सुनी। तुम उस समय चार महीने की हमारी गर्भ में पल रही थी जो हमारी ईलाज के दरम्यान जांच से पता चला था मै यह बात किसी से नहीं बताई थी। इस गम मे ये खुशी किसी से बताने लायक मै नहीं समझी ।ईशान के जाने के बाद ईशान के घर वाले मुझे अपनी बेटी की तरह रख रहे थे क्योंकि बेटे को खोने का गम था और वो इस हाल मे मुझे भी नही खोना चाहते थे। अभी मै ये सब सदमा से निकली भी नही थी की ये समाज हमारी दुसरी शादी करवा देने की सुझाव तुम्हारे नाना - नानी को देने लगे। इतनी बड़ी जीवन है अकेले कैसे बीताएगी कोई बच्चा भी नही है इसलिए कोई नए जीवनसाथी खोज कर विवाह कर दीजीए। ये खबर जब मुझे पता चली तो मुझे बहुत गुस्सा आई और मै अपनी जीवन मे दूसरी सादी से साफ माना कर दी। अभी मै गर्भ धारण कर रक्खी थी जो मै तुम्हारी नानी से बता दी। कुछ लोग मुझे बच्चे को गर्भ मे नष्ट करने की भी सलाह दी ताकी हमारी दूसरी शादी में कोई दिक्कत न आए। मुझे ये सब बाते सुनकर मन करता था कि मानो बोलने वाले का गला दवा दूं लेकिन चुप चाप सहती थी।
तुम्हारे नाना–नानी मुझे अपने पास बुलाना चाहते थे और तुम्हारे दादा दादी इस डर से नही जाने देते थे कि कही हमेशा के लिए वापस लौट कर नहीं आऊंगी।समय बीतता गया मै तुम्हारा भरन पोषण अच्छा से करने लगी और अपने पढ़ाई को और मेहनत से करने लगी क्योंकि अब मुझे अपने पैर पर खड़ा होना था। मुझे डर था कि अगर मै खुद कुछ नहीं कर पाऊंगी तो आगे कौन कितना दिन हमारा भरन पोषण करेगा और हो सकता तो हमारी दूसरी शादी जबरदस्ती ये सारी बात का बहाना बना कर करवा देंगे। और तुम्हारे पापा तो साथ नहीं लेकिन उनका सपना भी तो पूरा करना था ।
अब इंतजार था तुम्हारे इस दुनियां में आने का और एक तरफ हमारी परीक्षा का भी कौन पहले आएगा मुझे कोई अंदाजा नही था। बस एक समय पर दोनों साथ न आए ये चिंता मुझे बहुत सताती थी ।एक सही समय और सही तरीके से तुम इस दुनियां में आए जिसे देख पूरा परिवार बहुत खुश थे लेकिन ये समाज के कुछ गन्दे लोग तरह तरह के अफवाह फैलाने लगें। किसी और मर्द के साथ चक्कर था इसलिए पति को दुर्घटना का बहाना बना कर मरवा डाली थी, पति के मरने के बाद किसका बच्चा होता है, कैसा सास ससुर है जो फिर भी अपने बेटे के हत्यारिन को घर मे बैठा कर रक्खे है अपने घर में। मुझे ये सब सुनकर बहुत बुरा लगता था मानो अपनी जान ही गंवा देती, लेकिन सास ससुर बहुत समझदार थे जो हमेशा साथ खड़े थे अपनी मां–बाप से ज्यादा। अब मै ये साड़ी बातों को अनसुना कर तुम्हारे साथ खेलना और पढ़ाई में खुद को व्यस्त रखने लगी । मेरा परीक्षा का समय धीरे धीरे बहुत करीब आ रहा था वैसे–वैसे मुझे और डर लग रहा था और अनेक प्रकार के बात दिमाग में चल रहे थे। मै परीक्षा के दिन खुद के मन को शांत कर बहुत अच्छे से सारे जवाब दिए। मेरा परीक्षा बहुत ही अच्छा गया था, मुझे पूरा उम्मीद था कि मै सफल हो जाऊंगी और वैसा ही हुआ। तुम्हारे जन्म का एक वर्ष हुआ था उसी दिन नियुक्ति पत्र मिला। मै उस दिन तुम्हारे पापा का सपना पूरा कर दिखाई, मै बहुत खुश थी लेकिन उनकी कमी कुछ ज्यादा महसूस हो रही थी। मैने उस दिन तुम्हारा जन्म दिन खूब धूम धाम से मनाई और उन लोगों को चुन–चुन कर आमंत्रित की जो बुरे समय में मुझपे गलत आरोप लगाए थे। आज हमारी सफलता उन सभी लोगों के मुंह पर तमाचा था। इस सफलता के पीछे तुम्हारे दादा और दादी का बहुत बड़ा हाथ था। वो लोग तुम्हारे साथ खेलते थे और मुझे भी संभाल कर रखते, ये दुनिया के बातों को अनसुनी कराकर पढ़ने पर जोड़ देते।
अब मै शिक्षिका थी और एक मां भी, हमारे लिए दोनों थोड़ा मुश्किल था लेकिन खुद को मै उस हिसाब से ढाल ली थी। अपने पैर पर खड़ा होकर बहुत संतुष्ट थी क्योंकि अब मै अपने परिवार के साथ साथ अपनी पुरी जीवन खुद के बदौलत बीता सकती हु। अभी भी बहुत लोग सुझाव देते की शादी कर लू लेकिन क्यों करूं। मेरा मानना है कि कोई स्त्री या पुरुष को पुरी जीवन में किसी एक के साथ ही रहना या शादी विवाह करना चाहिए । मां बाप को भी अपने बच्चे को किसी एक के साथ रहने देना चाहिए चाहे वो जो भी हो। कभी भी एक जोड़े को अलग होने पर या अलग करके जबरदस्ती दूसरे जोड़े नहीं बनाना चाहिए। वैसा करके आप उनके मानसिकता एक देह व्यापार करने युक्त बना देते है। मां–बाप और समाज ये अपराध कर के निकल जाते और बाद मे अपराधी उसे बना दिया जाता है जो बहुत गलत है।सब कुछ ठीक चल रहा था और मै हर रोज की तरह उस दिन भी विद्यालय गई थी की अचानक तुम्हारे दादा जी का खबर आया कि मै घर जल्दी पहुंचे। घर गई तो देखी कि दादी जी का देहान्त हो गया था और उसके अगले पांच महीना बाद दादा जी भी इस दुनिया से चले गए। अब मै बहुत अकेली हो गई थी कोई नहीं था जो हमारे बुरे परिस्थित मे साथ खड़ा रहे। उस समय तुम भी बहुत छोटी थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था फिर भी खुद को संभाली और आगे बढ़ने का प्रयास आज तक कर रही हु।
जीवन में बहुत कठिनाई आए लेकिन तुझपे कोई आँच नहीं आने दी। अकेले सही और तुम्हें आज इतना बड़ा कर दी। मां जैसे देख भाल और पिता जैसे कमाकर घर संभाल रही हु। कभी तुम्हे कोई कमी महसूस नहीं होने दी और आज तुम्हें ऐसे अच्छी नहीं लगती हु। अगर तुम चाहती की मै भी दूसरे की मां जैसे सिंदूर लगाए तो उसके लिए मुझे शादी करनी होगी जो मै नहीं कर सकती हु। अगर हमे जबरदस्ती शादी करा भी दिया जाए तो तुम्हारे पिता जैसे इंसान नहीं मिलेंगे और उनके भी पहले बीबी से बच्चे होंगे और हमसे भी बच्चे का चाह करेंगे तो क्या तुम वहा खुश रह पाओगी , अभी से भी बहुत बत्तर जिन्दगी हो जाएगी हम दोनों की वैसा करने से।
तब ईशा बोली मां मुझे माफ करदो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, आज के बाद मै ऐसा सवाल नहीं करूंगी। आप बहुत सुंदर हो मां, मुझे आप जैसे सोच रखने वाली मां मिली जिससे मै आज इतना खुश और सुखी जीवन बीता रही हु । मेरा ये जीवन धन्य हो गया आप जैसी मां पाकर। और फिर मां और बेटी एक दूसरे से लिपट कर सो गई।
अमित कुमार वंशी
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