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जुलाई, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जौरागी से बटवाड़ा

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 एक जमाने मे गांव के जाने माने बड़े जमींदार कहे जाने वाले नंदू की दूर - दूर तक बहुत पुछ थी। कोई भी पंचायत और सलाह के लिए लोग पूछा करते थे । नंदू के एक सगा बड़ा भाई भी थे जिनका नाम किशोर था जो सिपाही मे कार्यरत थे, इस लिए घर की सारा जिम्मेदारी नंदू पे थी। नंदू के तीन संतान हुए जिसमे दो बेटा मोहन, सोहन और एक बेटी गूंजा थी और किशोर के एक संतान हुए जिनका नाम राम था। परिवार बहुत ही खुशाल था जिसे देख आस-परोस के लोग अपने परिवार को दिखा कर वैसा बनने को समझाते थे। चारो भाई बहन साथ रहना खाना खेलना मानो चारो एक ही मां के संतान हो और दोनो मां भी सभी को एक समान प्यार देती थी।  समय के साथ अब बच्चे कुछ बड़े हो गए थे उन्हे अब शिक्षा अर्जित करना आवश्यक था , चारो बच्चे को एक स्कूल में दाखिला कराया गया। उन चारो मे राम बहुत ही होनहार विद्यार्थी थे जो हमेशा कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते थे और मोहन एवं गूंजा भी पढ़ने मे ठीक ठाक थे जबकि सोहन को पढ़ाई में मन नहीं लगता था । सोहन को अपने पिता के साथ खेती करने में मन लगता था। पिता के मना करने के बाद भी सोहन पढ़ाई छोड़ खेती में पिता के हाथ बटाने चले...

एक मां की सिंदूर

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कोई ऐसा शब्द जो मन को पुरा झगजोर देता है लेकिन सच को झुटलाया नही जा सकता है। ऐसा ही एक शब्द एक बच्ची अपनी मां से अंधेरी रात के करीब दस बजे किया जब उनकी मां का आंख लग रहा था। मां बार बार उसे सोने के लिए बोल रही थी और वो बिस्तर पर इधर से उधर कर रही थी। तभी अचानक ईशा के मुख से एक सवाल निकला जो सुन कर उसकी मां की नींद उड़ गई और पुरा शरीर कांप उठा । मां आप दूसरे की मां जैसा लाल सिंदूर अपने ललाट पर क्यो नही लगाती ? अचानक मां को ए शब्द सुनकर ऐसा लगा मानो शरीर में करेंट लग गई फिर भी अनसुनी करने का नाटक किया और कहा बहुत रात हो गई है अभी सो जाओ मुझे बहुत नींद आ रही है और करवट बदल कर आंख बंद कर लिया। ईशा फिर बोली बताओ न मां मुझे जानना है मुझे बहुत अच्छा लगता है ऊन लोगो को देख कर तुम क्यों नहीं लगाती? मां को पुरानी बीती सारी बातें मन को अंदर ही अंदर झगजोर रहा था उन्हें ईशान के साथ बिताई पल बहुत याद आने लगी और आंख भर आई गला सूखने लगा और भीतर ही भीतर कलेजा फट रहा था लेकिन अपनी बेटी को कैसे बताए । पिता के उसके जन्म से पहले ही जाने के समय जब ईशा चार महीने की गर्भ मे थी तब से आज दस वर्ष की हो गई तब तक ...